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अपमानित नहीं होना चाहता, नहीं लड़ूंगा जम्मू कश्मीर विधानसभा चुनाव; उमर अब्दुल्ला ने ऐसा क्यों कहा

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लोकसभा चुनाव 2024 में जम्मू कश्मीर की बारामूला सीट से करारी हार मिलने के बाद पूर्व मुख्यमंत्री और नेशनल कांफ्रेंस के नेता उमर अब्दुल्ला के लिए राज्य विधानसभा चुनाव का विकल्प है। लेकिन, उन्होंने यह कहते हुए चुनाव लड़ने से इनकार कर दिया कि वे केंद्र शासित प्रदेश में चुनाव जीतकर विधानसभा की सीढ़ियां नहीं चढ़ना चाहते, क्योंकि वह खुद को अपमानित नहीं करना चाहते हैं। उनका कहना है कि वह भले ही चुनाव न लड़ें लेकिन, पार्टी के चुनावी अभियान का नेतृत्व जरूर करेंगे।

जेल में बंद शेख अब्दुल रशीद उर्फ ​​इंजीनियर रशीद से बारामूला लोकसभा चुनाव हारने को उमर अब्दुल्ला परेशान करने वाली बात नहीं मानते। उमर अब्दुल्ला ने कहा कि चुनावी राजनीति में हार के लिए भी तैयार रहना पड़ता है। अगर आप इस तथ्य को अलग रखें कि मैं हार गया, तो कुल मिलाकर मुझे लगता है कि हमारी पार्टी नेशनल कॉफ्रेंस के पास संतुष्ट होने के लिए बहुत कुछ है। जहां तक मेरी अपनी सीट का सवाल है, मैं निराश होने के अलावा और क्या कर सकता हूं? लेकिन यह चुनावी राजनीति है। अगर आप हारने के लिए तैयार नहीं हैं, तो आपको अपना पर्चा दाखिल नहीं करना चाहिए। मैं यह नहीं कह सकता कि परिणाम उम्मीदों के अनुसार था।

खुद को अपमानित नहीं करूंगा

उमर अब्दुल्ला ने कहा कि वह जम्मू-कश्मीर में विधानसभा चुनाव के लिए अपनी पार्टी के प्रचार अभियान का नेतृत्व करेंगे। उमर ने कहा, ”मैं हमारे राज्य का दर्जा वापस पाने के लिए लड़ूंगा। मैं जम्मू-कश्मीर को पूर्ण राज्य का दर्जा बहाल किए जाने के लिए लड़ूंगा। फिर, अगर संभव हुआ तो मैं विधानसभा में प्रवेश करने और वहां अपनी भूमिका निभाने का अवसर तलाशूंगा। लेकिन, मैं केंद्र शासित प्रदेश की विधानसभा में प्रवेश करके खुद को अपमानित नहीं करूंगा।” गौरतलब है कि 2019 में, केंद्र सरकार ने तत्कालीन जम्मू और कश्मीर राज्य को विशेष दर्जा देने वाले संविधान के अनुच्छेद 370 के प्रावधानों को निरस्त कर दिया था और राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेशों – जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में विभाजित कर दिया था।

कब हो सकते हैं विधानसभा चुनाव

उमर अब्दुल्ला ने कहा कि लोकसभा चुनाव 2024 में जिस तरह भाजपा को पूर्ण बहुमत नहीं मिला है, इससे वह आशांवित हैं कि जम्मू कश्मीर राज्य को एक बार फिर विशेष राज्य का दर्जा मिल सकता है। विधानसभा चुनावों के संचालन पर अब्दुल्ला ने कहा कि अगर सुप्रीम कोर्ट ने 30 सितंबर तक चुनाव कराने का निर्देश नहीं दिया होता तो उन्हें इतनी उम्मीद नहीं होती। उन्होंने कहा, “अगर भाजपा अल्पमत सरकार या केंद्र में गठबंधन सरकार में तब्दील नहीं होती, तब भी मुझे विधानसभा चुनाव और राज्य के दर्जे की इतनी उम्मीद नहीं होती। चुनाव इसलिए नहीं हो रहे हैं क्योंकि भाजपा चुनाव चाहती है, बल्कि इसलिए हो रहे हैं क्योंकि सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें आदेश दिया है।”

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