13 मिनट पहलेलेखक: आशीष तिवारी
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कहानी, रईस और रात अकेली है के बाद नवाजुद्दीन सिद्दीकी एक बार फिर पुलिस ऑफिसर के किरदार में फिल्म ‘रौतू का राज’ में नजर आने वाले हैं। यह फिल्म 28 जून से जी5 पर स्ट्रीम होगी। फिल्म में नवाजुद्दीन सिद्दीकी के अलावा राजेश कुमार ने भी अहम भूमिका निभाई है।
हाल ही में इस फिल्म को लेकर नवाजुद्दीन और राजेश ने दैनिक भास्कर से खास बातचीत के दौरान दिलचस्प बातों का खुलासा किया। नवाज ने बताया कि एक बार कमल हासन ने एक ऐसा टास्क दे दिया था कि उनकी रातें खराब हो थी। लेकिन बाद में उन्हें समझ आया कि ऐसा उन्होंने क्यों कहा था।
उनके टास्क के वजह से एक ही किरदार को अगल- अलग तरीके से निभाने की प्रेरणा मिली। वहीं, राजेश ने बताया कि नवाज के साथ अपनी परफार्मेंस को मैच करने में थोड़ा सा नर्वस थे ।

राजेश आप बताए, क्या खास बात लगी इस फिल्म में आपको?
सबसे बड़ी बात की ‘हड्डी’ के बाद एक बार फिर नवाज भाई के साथ स्क्रीन शेयर करने का मौका मिल रहा था। जब आपको एक अच्छे कलाकार के साथ काम करने का मौका मिले तो उसे नहीं छोड़ना चाहिए। फिल्म की कहानी और किरदार बहुत अच्छे हैं। मेरी पढ़ाई देहरादून में हुई है। फिल्म की शूटिंग उत्तराखंड में हुई है। पहली बार लंबे आउटडोर शूटिंग करने का मौका मिल रहा था। यह सब कारण रहे हैं,फिल्म में काम करने का।
नवाज भाई आप बताए, इस फिल्म में ऐसी कौन सी बात आपको खास लगी?
इस फिल्म का किरदार मुझे काफी अलग लगा। हालांकि मैंने पहले भी कॉप के किरदार निभाए हैं। लेकिन इस फिल्म में कॉप का जो किरदार है, वो अंदर से बहुत अलग इंसान है। इन्वेस्टिगेशन के माध्यम से जब वो प्योरिटी की तरफ जाता है। उसमें आग नजर आता है। वह मुझे बहुत अच्छा लगा। फिल्म की राइटिंग बहुत इंट्रेस्टिंग है।

आपको वर्दी वाले किरदार में देखना दर्शक भी बहुत पसंद करते हैं, यह किरदार आप पर सूट भी बहुत करता है?
ऐसी बात इसलिए हो रही है, क्योंकि यह फिल्म आ रही है। पहले गैंगस्टर की फिल्में आती थी तो लोग कहते थे कि गैंगस्टर के रोल में अच्छे लग रहे हैं। जब आप एक ही किरदार को अलग- अलग तरीके से करते हैं, तो उसमें आपकी स्किल देखी जाती है। इसी स्किल के चक्कर में एक बार कमल हासन साहब ने एक बड़ा टास्क दे दिया था।
क्या था वह टास्क?
एक बार मैं कमल हसन साहब के साथ बैठा हुआ था। यह बहुत पहले की बात है। कमल सर जब ‘अभय’ और ‘हे राम’ फिल्म के दौरान मुंबई आते थे तो मुझे और स्वानंद को बुला लेते थे। हम लोग एक्टिंग पर डिस्कस करते थे। मैंने कमल सर को तुगलग प्ले की स्पीच सुनाई। स्पीच सुनने के बाद कमल जी ने एक टास्क दिया। वो बोले कि अगली बार जब मिलेंगे तो इसके पांच वर्जन सुनाना। मैं यह सुनकर शॉक्ड हो गया। वो बोलकर चले गए और हमारी रातें खराब हो गई। लेकिन हमें बाद में समझ आया कि ऐसा उन्होंने क्यों कहा था। उसी वजह से आज एक ही किरदार को अलग- अलग तरीके से निभा पाता हूं।
फिल्म ‘रौतू का राज’ में दीपक नेगी के किरदार के लिए किस तरह की तैयारी करनी पड़ी?
मैंने इस किरदार के लिए कुछ ज्यादा तैयारी नहीं की थी। जिस गांव में फिल्म की शूटिंग कर रहे थे। जब वहां पहुंचे तो हमारी बॉडी खुद ही रिएक्ट करने लगी। हमें वहां एक्टिंग करने की जरूरत ही नहीं पड़ी। सीन की जैसी डिमांड थी, हम वैसा ही कर रहे थे। हमें लग रहा था कि बात ही तो कर रहे हैं और कैमरा हमें फॉलो कर रहा है।

राजेश आप सब इंस्पेक्टर डिमरी के किरदार में हैं, आपकी किस तरह की तैयारी रही है?
मैं थोड़ा नर्वस था। जब हमने फिल्म ‘हड्डी’ में साथ काम किया था, तो वहां ‘वन टू वन परफार्मेंस’ नहीं हुई थी। कुछ सीन हमने साथ में किए थे, लेकिन वह भी बहुत विपरीत परिस्थिति में थी। सीन के बजाय परिस्थितियां बहुत हावी हो रही थीं। उस समय यही था कि किसी तरह से सीन खत्म करना है। लेकिन इस फिल्म में ऐसा नहीं था। यहां मुझे नवाज भाई के साथ अपनी परफार्मेंस को मैच करना था। इस वजह से थोड़ा सा नर्वस था।
नवाज भाई, फिल्म की शूटिंग उत्तराखंड में हुई हैं, शूटिंग के दौरान वहां की क्या खासियत आपको समझ में आई?
फिल्म के डायलॉग में उत्तराखंड का लहजा सुनने को मिलेगा। इस बात का बहुत ध्यान रखना पड़ा कि बोलचाल में कहीं हरियाणवी लहजा न निकल आए और लोग सोचने लगे कि उत्तराखंड में हरियाणा कहां से आ गया।

इस फिल्म की यूएसपी क्या है?
यह ऐसी थ्रिलर फिल्म है, जिसमें ड्रामा नहीं है। एकदम स्लो मोमेंट में फिल्म की कहानी चलती रहती है। यही इस फिल्म की खूबसूरती है। इसमें किरदार भी मुझे इसलिए पसंद आया, क्योंकि इन्वेस्टिगेशन करते- करते उसकी खुद की कंप्लीसिटी उसके साथ चलती है। जिन चीजों से वह काफी समय से जूझ रहा था इन्वेस्टिगेशन के साथ- साथ वह भी पूरा होता है। पहाड़ों पर जिस तरह की शांति होती है,इस फिल्म में इन्वेस्टिगेशन भी उसी तरह से चलता है।